Download Cyber Classes Android App from playstore

Skip to main content

अभियन्ता दिवस || Engineer’s day

 


अभियन्ता दिवस || Engineer’s day

 

अभियन्ता दिवस (इंजीनियर्स डे) 15 सितम्बर को मनाया जाता हैं. यह दिन मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म दिवस हैं, जो कि एक महान इंजिनियर थे, इसलिए उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए इस दिन को इंजीनियर्स डे के नाम पर समर्पित किया गया. इंजिनियर डे के द्वारा दुनिया के समस्त इंजिनियरों को सम्मान दिया जाता है. जिस प्रकार  डॉक्टर को सम्मान देने के लिए  डॉक्टर्स डे मनाया जाता है,  टीचरों को सम्मान देने के लिए टीचर डे मनाया जाता है,  बच्चों को सम्मान देने के लिए बाल दिवस मनाया जाता है, माता को सम्मान देने के लिए मदर्स डे मनाया जाता है, उसी तरह इंजिनियरों को भी एक दिन विशेष सम्मान दिया जाता है.

आज के वक्त में दुनियाँ के हर क्षेत्र में इंजिनियर का नाम हैं. दुनियाँ की प्रगति में इंजिनियर का हाथ हैं फिर चाहे वो कोई भी फील्ड हो. तकनिकी ज्ञान के बढ़ने के साथ ही किसी भी देश का विकास होता हैं. इस तरह पिछले दशक की तुलना में इस दशक में दुनियाँ का विकास बहुत तेजी से हुआ इसका श्रेय दुनियाँ भर के इंजिनियर को जाता हैं.

मनाये जाने का महत्व

विश्व में विभिन देशो द्वारा अलग अलग तारीख को इंजिनियर दिवस मनाया जाता है यूनेस्को द्वारा 4 मार्च को इंजिनियर दिवस घोषित किया है हमारे देश के प्रसिद्ध इंजीनियर सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के याद में मनाया जाता है उनके जनमदिवस यनि १५ सितमबर को यह मनाया जाता है वह भारत के सबसे विपुल सिविल इंजीनियर, बांध बनाने वाले, अर्थशास्त्री, राजनेता बन गए, और उन्हें पिछली सदी के अग्रणी राष्ट्र-बिल्डरों में गिना जा सकता है। इस  दिन को मनाने का लक्ष्य हमारे देश के युवाओं को इंजीनियरिंग के करियर के प्रति प्रेरित करना है और जिन इंजीनियरों ने हमारे देश के उत्थान में अपना योगदान दिया गया है उनकी सराहना करना है.

मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया जीवन परिचय

विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितम्बर को 1860 में मैसूर रियासत में हुआ था, जो आज कर्नाटका राज्य बन गया है. इनके पिता श्रीनिवास शास्त्री संस्कृत विद्वान और आयुर्वेदिक चिकित्सक थे. इनकी माता वेंकचाम्मा एक धार्मिक महिला थी. जब विश्वेश्वरैया 15 साल के थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया था. चिकबल्लापुर से इन्होंने प्राथमिक स्कूल की पढाई पूरी की, और आगे की पढाई के लिए वे बैंग्लोर चले गए. 1881 में विश्वेश्वरैया ने मद्रास यूनिवर्सिटी के सेंट्रल कॉलेज, बैंग्लोर से बीए की परीक्षा पास की. इसके बाद मैसूर सरकार से उन्हें सहायता मिली और उन्होंने पूना के साइंस कॉलेज में इंजीनियरिंग के लिए दाखिला लिया. 1883 में LCE और FCE एग्जाम में उनका पहला स्थान आया.

“एक अच्छा इंजिनियर वही हैं जो किताबी ज्ञान को वास्तविक रूप दे पाये.”

मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया करिअर  

इंजीनियरिंग पास करने के बाद विश्वेश्वरैया को बॉम्बे सरकार की तरफ से जॉब का ऑफर आया, और उन्हें नासिक में असिस्टेंट इंजिनियर के तौर पर काम मिला. एक इंजीनियर के रूप में उन्होंने बहुत से अद्भुत काम किये. उन्होंने सिन्धु नदी से पानी की सप्लाई सुक्कुर गाँव तक करवाई, साथ ही एक नई सिंचाई प्रणाली ‘ब्लाक सिस्टम’ को शुरू किया. इन्होने बाँध में इस्पात के दरवाजे लगवाए, ताकि बाँध के पानी के प्रवाह को आसानी से रोका जा सके. उन्होंने मैसूर में कृष्णराज सागर बांध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. ऐसे बहुत से और कार्य विश्वेश्वरैया ने किये, जिसकी लिस्ट अंतहीन है.



1903 में पुणे के खड़कवासला जलाशय में बाँध बनवाया. इसके दरवाजे ऐसे थे जो बाढ़ के दबाब को भी झेल सकते थे, और इससे बाँध को भी कोई नुकसान नहीं पहुँचता था. इस बांध की सफलता के बाद ग्वालियर में तिगरा बांध एवं कर्नाटक के मैसूर में कृष्णा राजा सागर (KRS) का निर्माण किया गया. कावेरी नदी पर बना कृष्णा राजा सागरा को विश्वेश्वरैया ने अपनी देख रेख में बनवाया था,  यह अपने समय का एशिया में यह सबसे बड़ा जलाशय था.

1906-07 में भारत सरकार ने उन्हें जल आपूर्ति और जल निकासी व्यवस्था की पढाई के लिए ‘अदेन’ भेजा. उनके द्वारा बनाये गए प्रोजेक्ट को अदेन में सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया. हैदराबाद सिटी को बनाने का पूरा श्रेय विश्वेश्वरैया जी को ही जाता है. उन्होंने वहां एक बाढ़ सुरक्षा प्रणाली तैयार की, जिसके बाद समस्त भारत में उनका नाम हो गया. उन्होंने समुद्र कटाव से विशाखापत्तनम बंदरगाह की रक्षा के लिए एक प्रणाली विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

विश्वेश्वरैया को मॉडर्न मैसूर स्टेट का पिता कहा जाता था. इन्होने जब मैसूर सरकार के साथ काम किया, तब उन्होंने वहां मैसूर साबुन फैक्ट्री, परजीवी प्रयोगशाला, मैसूर आयरन एंड स्टील फैक्ट्री, श्री जयचमराजेंद्र पॉलिटेक्निक संस्थान, बैंगलोर एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, स्टेट बैंक ऑफ़ मैसूर, सेंचुरी क्लब, मैसूर चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एवं यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग की स्थापना करवाई. इसके साथ ही और भी अन्य शैक्षिणक संस्थान एवं फैक्ट्री की भी स्थापना की गई. विश्वेश्वरैया ने तिरुमला और तिरुपति के बीच सड़क निर्माण के लिए योजना को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

दीवान ऑफ़ मैसूर

1908 में विश्वेश्वरैया ने अपने काम से थोड़े समय का ब्रेक लिया और विदेश यात्रा में चले गए, यहाँ उन्होंने देश के औद्योगिक विकास के बारे में गहन चिंतन किया. विदेश से लौटने के बाद इन्होने थोड़े समय के लिए हैदराबाद के निज़ाम के रूप में कार्य किया. उस समय हैदराबाद की मूसी नदी से बाढ़ का अत्याधिक खतरा था, तब विश्वेश्वरैया जी ने इससे बचाव के लिए उपाय सुझाये. नवम्बर 1909 में विश्वेश्वरैया जी को मैसूर राज्य का मुख्य इंजिनियर बना दिया गया. इसके बाद 1912 में विश्वेश्वरैया जी को मैसूर रियासत का दीवान बना दिया गया, वे इस पद पर सात सालों तक रहे. वे मैसूर में कृष्णा राजा सगर डैम के निर्माण के लिए मुख्य इंजीनियर थे और साथ ही हैदराबाद शहर के लिए बाढ़ सुरक्षा प्रणाली के प्रमुख डिजाइनर भी थे।



मैसूर के राजा कृष्णराजा वोदेयार की मदद से विश्वेश्वरैया जी ने मैसूर राज्य के विकास के क्षेत्र में अनेकों कार्य किये. उन्होंने उपर बताये गए कार्यों के अलावा भी, बहुत से सामाजिक कार्य किये. इन्होने 1917 में बैंग्लोर में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की, यह देश का पहला सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज था. बाद में इस कॉलेज का नाम बदल कर यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग रखा गया. विश्वेश्वरैया जी ने मैसूर स्टेट में नयी रेलवे लाइन की भी स्थापना की. मैसूर के दीवान के रूप में, वे राज्य के शैक्षणिक और औद्योगिक विकास के लिए अथक प्रयासरत रहे.

सम्मान उपाधि

  • स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1955 में विश्वेश्वरैया जी को भारत के सबसे बड़े सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था.
  • किंग जॉर्ज पंचम द्वारा ब्रिटिश नाइटहुड से भी सम्मानित किया गया था
  • लन्दन इंस्टीट्यूशन सिविल इंजीनियर्स की तरफ से भी विश्वेश्वरैया जी को सम्मान दिया गया था.
  • इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस की तरफ  से भी विश्वेश्वरैया जी को सम्मानित किया गया.
  • इसके अलावा देश के आठ अलग अलग इंस्टिट्यूट के द्वारा उन्हें डोक्टरेट की उपाधि दी गई.
  • विश्वेश्वरैया जी के 100 साल के होने पर भारत सरकार ने उनके सम्मान में स्टाम्प निकाला.

अन्य महत्वपूर्ण दिवस : शिक्षक दिवस , खेल दिवस , हिंदी दिवस, स्वतंत्रता दिवस , संस्कृत दिवस 

Compiled By : Vijay Verma

Comments

Post a Comment

If you have any doubt . then writes us

Popular posts from this blog

Chaitra Navratri || चैत्र नवरात्रि

  चैत्र नवरात्रि नवरात्री क्या है ? अमावस्या की रात से   नवमी   तक व्रत नियम के अनुसार चलने से नौ रात यानी ' नवरात्र ' नाम सार्थक है। चूंकि यहां रात गिनते हैं इसलिए इसे नवरात्र यानि नौ रातों का समूह कहा जाता है। वर्ष में दो बार चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि आती है। इसमें मां दुर्गा की विधि विधान से पूजा की जाती है। हालांकि , वर्ष में दो बार गुप्त नवरात्रि भी आती है , लेकिन चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि की मान्यता ज्यादा है। हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि को   विशेष माना गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसी दिन से हिंदू नव वर्ष यानि कि नव सम्वत्सर की भी शुरुआत होती है। इस बार संवत 2078 का आरंभ 13 अप्रैल से होगा। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि भी आरंभ हो जाएगी। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नवरात्रि प्रारंभ होंगे। इसी दिन घटस्थापना की जाती है। चैत्र नवरात्रि के समय ही राम नवमी का पावन पर्व भी आता है। चैत्र नवमी के दिन भगवान राम का जन्म हुआ था , इसलिए इसे राम नवमी कहा जाता है। नवरात्रों की प्रमुख तिथियों में गणगौर पूजा 15 अप्रैल , दुर्गा सप्तमी 19 अप्रैल , दुर्गाष्टमी 20 ...

Card Protection Plan(CPP) || कार्ड सुरक्षा योजना

  कार्ड सुरक्षा योजना || Card Protection Plan(CPP)   क्रेडिट कार्ड ने हमेशा हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है , चाहे वह ऑल-टाइम फंड एक्सेस के लिए हो या आसान तरीके से खरीदारी करने के लिए । जब तक यह हमारे बटुए में रहता है , तब तक यह हमें क्रय शक्ति और आत्मविश्वास की भावना देता है। लेकिन जिस पल आप अपना कीमती क्रेडिट कार्ड खो देते हैं , तो यह बहुत बड़ा संकट का कारण बन जाती है। इस स्थिति को संभालने के कई तरीके हैं इस घटना को संभालने का पारंपरिक तरीका यह होगा कि आप अपने क्रेडिट कार्ड को ब्लॉक करने के लिए कस्टमर केयर को कॉल करें । दूसरा बेहतर तरीका   आपके कार्ड को अग्रिम रूप से सुरक्षित रखने के लिए क्रेडिट प्रोटेक्शन प्लान (सीपीपी) का प्रयोग करे । कार्ड सुरक्षा योजना ( CPP) क्या है ? कार्ड सुरक्षा योजना क्रेडिट कार्ड , डेबिटकार्ड के लिए बीमा योजना के रूप में कार्य करती है , कार्डों की चोरी , हानि या धोखाधड़ी के मामले में उपभोगता को सुरक्षा प्रदान करती है । कार्डधारक को सेवा का उपयोग करने के लिए एक निश्चित वार्षिक शुल्क का भुगतान करना पड़ता है। भारत में , यह...

हिंदी दिवस

  हिंदी दिवस जब भी बात देश की उठती है तो हम सब एक ही बात दोहराते हैं , “ हिंदी हैं हम , वतन है हिंदोस्तां हमारा “ । यह पंक्ति हम हिंदुस्तानियों के लिए अपने आप में एक विशेष महत्व रखती है। हिंदी अपने देश हिंदुस्तान की पहचान है। यह देश की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है इसीलिए हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है।   हिंदी दिवस कब और क्यों मनाया जाता है प्रति वर्ष 14 सिंतबर को हम हिन्दी दिवस के रूप में मनाते हैं क्योकि इसी दिन ही हिंदी को भारतीय संविधान द्वारा भारतीय गणराज्य की राजभाषा का दर्जा दिया गया था। इसके अतिरिक्त हिंदी को बढ़ावा देने के लिए , हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए वातावरण पैदा करने के उद्देश्य से और हिंदी के प्रति लोगों में जागरुकता पैदा करने के उद्देश्य से हिन्दी दिवस मनाया जाता है। संविधान द्वारा हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिये जाने की खुशी में हम हिंदी दिवस मनाते हैं। संविधान के अनुच्छेद 343 में हिंदी भाषा को राजभाषा के तौर पर अपनाने का उल्लेख मिलता है।   हिंदी द...