हिंदी दिवस
जब भी
बात देश की उठती है तो हम सब एक ही बात दोहराते हैं, “हिंदी हैं हम, वतन है
हिंदोस्तां हमारा“। यह पंक्ति हम हिंदुस्तानियों के
लिए अपने आप में एक विशेष महत्व रखती है। हिंदी अपने देश हिंदुस्तान की पहचान है।
यह देश की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है इसीलिए हिंदी को राजभाषा का दर्जा
प्राप्त है।
हिंदी दिवस कब
और क्यों मनाया जाता है
प्रति
वर्ष 14 सिंतबर को हम हिन्दी दिवस के रूप में
मनाते हैं क्योकि इसी दिन ही हिंदी को भारतीय संविधान द्वारा भारतीय गणराज्य की
राजभाषा का दर्जा दिया गया था। इसके अतिरिक्त हिंदी को बढ़ावा देने के लिए,
हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए वातावरण पैदा करने
के उद्देश्य से और हिंदी के प्रति लोगों में जागरुकता पैदा करने के उद्देश्य से
हिन्दी दिवस मनाया जाता है। संविधान द्वारा हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा
दिये जाने की खुशी में हम हिंदी दिवस मनाते हैं। संविधान के अनुच्छेद 343 में हिंदी भाषा को राजभाषा के तौर पर अपनाने का
उल्लेख मिलता है।
हिंदी दिवस का
महत्व
हिंदी
दिवस उस दिन की याद में मनाया जाता
है जिस दिन हिंदी हमारी राजभाषा बनी। हिंदी दिवस
के दिन कॉलेज और स्कूल स्तर पर विद्यार्थियों को हिंदी का महत्व बताया जाता है। इस
दिन सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिंदी में व्याख्यान आयोजित किये
जाते हैं। बिहार देश का पहला राज्य था जिसने हिंदी को अपनी आधिकारिक भाषा के तौर
पर अपनाया था। हालांकि इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि भारत में अंग्रेजी बोलने
वाले लोगों की तादाद में लगातार इज़ाफ़ा हो रहा है, लेकिन आज भी देश में हिंदी बोलने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है। देश
की जनता का एक बडा़ हिस्सा आज भी हिंदी बोलता है। उत्तर भारत के कई राज्यों जैसे
उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड, हरियाणा, झारखंड आदि में एक बड़ी आबादी हिंदी
भाषी लोगों की है। इस बात को हमें हमेशा याद रखना चाहिये कि अपनी मात्र भाषा बोलने
से न केवल हम अपनी संस्कृति से जुड़े रहते हैं बल्कि यह हमें एक-दूसरे के करीब
लाने का जरिया भी है।
वर्तमान समय
में हिंदी की दशा
यह
सत्य है कि अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। ऐसा इसलिए है
क्योंकि अंग्रेजी एक ऐसा माध्यम है जिसका विश्व स्तर पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया
जाता है। यही वजह है कि हम लोगों को अंग्रेजी सीखनी पड़ती है, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि हम
अपनी मात्र भाषा को बोलने या सीखने में संकोच करें। अगर हम ऐसा करेंगे तो यह
विलुप्त होने की कगार पर पहुंच जाएगी। आज विश्व में ऐसे देश भी है जो अपने देश में
केवल अपनी भाषा में ही काम को महत्व देते हैं। रूस, चीन, जापान ऐसे ही उदाहरण है इन देशों में
इनकी ही भाषा में काम को महत्व दिया जाता है और यह वजह है कि इनकी भाषा लगातार
फल-फूल रही है। क्या ऐसा हमारे देश में होना संभव नहीं? यकीनन ऐसा संभव है, लेकिन
उसके लिए हम सबको सोचना होगा। आज अंग्रेजी विश्व की भाषा इसलिए बन पाई क्योंकि
अंग्रेजों ने अंग्रेजी को हमेशा जिंदा रखा। वह जहां भी गए उन्हें केवल अंग्रेजी
में ही काम और संवाद को महत्ता दी। जिस देश को भी अंग्रेजों ने उपनिवेश बनाया वहां
वह अपनी संस्कृति और सभ्यता के निशान छोड़ते गए और देखते ही देखते उनकी सभ्यता और
संस्कृति को पूरे विश्न ने अपना लिया। ऐसा हमारी हिंदी के साथ भी हो सकता है,
लेकिन इसके लिए हमें लगातार प्रयास करते रहने
होंगे। तभी हिंदी को विश्व पटल पर ले जाया जा सकता है। हमें ऐसे कानून बनाने होंगे
कि कार्यालयों और स्कूल, कॉलेजों
में हिंदी में संवाद और लिखित कार्य को जरूरी बना दिया जाए। तभी हिंदी को बचाया जा सकता है। कहीं ऐसा न हो कि हिंदी एक इतिहास बन रह जाए और हमारी
पीढ़ियां केवल किताबों में इसके बारे में जानें।
राजभाषा गौरव
पुरस्कार
यह
पुरस्कार तकनीकी या विज्ञान के विषय पर लिखने वाले किसी भी भारतीय नागरिक को दिया
जाता है। इसमें दस हजार से लेकर दो लाख रुपये के 13 पुरस्कार होते हैं। इसमें प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने वाले को २ लाख
रूपए, द्वितीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले
को डेढ़ लाख रूपए और तृतीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले को पचहत्तर हजार रुपये
मिलता है। साथ ही दस लोगों को प्रोत्साहन पुरस्कार के रूप में दस-दस हजार रूपए
प्रदान किए जाते हैं। पुरस्कार प्राप्त सभी लोगों को स्मृति चिह्न भी दिया जाता
है। इसका मूल उद्देश्य तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में हिन्दी भाषा को आगे
बढ़ाना है।
राजभाषा कीर्ति
पुरस्कार
इस
पुरस्कार योजना के तहत कुल ३९ पुरस्कार दिये जाते हैं। यह पुरस्कार किसी समिति,
विभाग, मण्डल
आदि को उसके द्वारा हिन्दी में किए गए श्रेष्ठ कार्यों के लिए दिया जाता है। इसका
मूल उद्देश्य सरकारी कार्यों में हिन्दी भाषा का उपयोग करने से है।
राजभाषा कीर्ति एवं गौरव पुरस्कार वर्ष 2019-20 की सूचि
भारत की
राजभाषा के रूप में हिन्दी
संविधान
सभा ने लम्बी चर्चा के बाद 14 सितम्बर
सन् 1949 को हिन्दी को भारत की राजभाषा स्वीकारा गया। इसके बाद संविधान में अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा के
सम्बन्ध में व्यवस्था की गयी। ध्यातव्य है कि भारतीय संविधान में राष्ट्रभाषा का उल्लेख नहीं है।
संविधान
की धारा 343(1) के अनुसार भारतीय संघ की राजभाषा हिन्दी एवं लिपि देवनागरी है।
संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिये प्रयुक्त अंकों का रूप भारतीय अंकों का
अंतरराष्ट्रीय स्वरूप (अर्थात 1, 2,
3 आदि) है। किन्तु इसके साथ संविधान में यह भी
व्यवस्था की गई कि संघ के कार्यकारी, न्यायिक
और वैधानिक प्रयोजनों के लिए 1965 तक अंग्रेजी का प्रयोग जारी रहे। तथापि यह प्रावधान किया गया
था कि उक्त अवधि के दौरान भी राष्ट्रपति कतिपय विशिष्ट प्रयोजनों के लिए हिंदी के
प्रयोग का प्राधिकार दे सकते हैं। संसद का कार्य हिंदी में या अंग्रेजी में किया
जा सकता है। परन्तु राज्यसभा के सभापति महोदय या लोकसभा के
अध्यक्ष महोदय विशेष परिस्थिति में सदन के किसी सदस्य को अपनी मातृभाषा में सदन को संबोधित करने की अनुमति दे सकते हैं (संविधान का अनुच्छेद
120)। किन प्रयोजनों के लिए केवल हिंदी का प्रयोग किया जाना है, किन के लिए हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं का
प्रयोग आवश्यक है, और किन कार्यों के लिए अंग्रेजी भाषा
का प्रयोग किया जाना है, यह
राजभाषा अधिनियम 1963, राजभाषा नियम 1976 और उनके अंतर्गत
समय समय पर राजभाषा विभाग, गृह
मंत्रालय की ओर से जारी किए गए निदेशों द्वारा निर्धारित किया गया है।
राजभाषा
अधिनियम
1963 में राजभाषा अधिनियम अधिनियमित किया गया। अधिनियम में यह व्यवस्था भी
थी कि केन्द्रीय सरकार द्वारा राज्यों से पत्राचार में अंग्रेजी के प्रयोग को उसी
स्थिति में समाप्त किया जाएगा जबकि सभी अहिंदी भाषी राज्यों के विधान मण्डल इसकी
समाप्ति के लिए संकल्प पारित कर दें और उन संकल्पों पर विचार करके संसद के दोनों
सदन उसी प्रकार के संकल्प पारित करें। अधिनियम में यह भी व्यवस्था थी कि अन्तराल
की अवधि में कुछ विशिष्ट प्रयोजनों के लिए केवल हिंदी का प्रयोग किया जाए और कुछ
अन्य प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी और हिंदी दोनों का प्रयोग किया जाए।
सन् 1976
में राजभाषा
नियम बनाए गए। इसमें भी १९८७, २००७ तथा २०११ में कुछ संशोधन किए गए।
हिंदी भाषा के बारे में विशेष तथ्य
·
हिंदी
भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है
·
18
शताब्दी में भरतपुर आदि पूर्वी राजस्थान के कई राजवाड़े हिन्दी (ब्रजभाषा) में कार्य कर रहे थे।
·
1826 में हिन्दी
के पहले समाचारपत्र उदन्त
मार्तण्ड का कलकत्ता से
प्रकाशन, पण्डित युगलकिशोर शुक्ल द्वारा हुआ
·
सत्यार्थ
प्रकाश की रचना। यह आर्यसमाज का आधार ग्रन्थ है और इसकी भाषा हिन्दी है।
·
1918 में महात्मा
गांधी द्वारा दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा की स्थापना
·
7.6.1955 को बी.जी. खेर की अध्यक्षता में राजभाषा आयोग का गठन (संविधान के अनुच्छेद 344 (1) के अन्तर्गत)
·
5.9.1967 को प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय हिन्दी समिति का गठन किया गया।
·
16.12.1967 को संसद के द्वारा राजभाषा संकल्प पारित किया गया
·
1.3.1971 को केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो का गठन।
·
1977 में श्री अटल बिहारी वाजपेयी, तत्कालीन
विदेश मंत्री ने पहली बार संयुक्त
राष्ट्र की आम सभा को हिंदी में संबोधित
किया।
·
1986-87 इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार प्रारम्भ किए गए।
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विश्व और हिंदी
भाषा
·
हिंदी
विश्व के तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है
·
विश्व
हिंदी दिवस प्रतिवर्ष 10 जनवरी को
मनाया जाता है
·
फिजी
में हिंदी को अधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है
·
विश्व
आर्थिक मंच की गणना के अनुसार हिंदी विश्व की
दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है
·
विश्व के
सभी प्रमुख विश्वविद्यालय में हिंदी को पढाया जाता है
इन्टरनेट और
हिंदी भाषा
यह बात सच है की अंग्रेजी भाषा का कंप्यूटर क्षेत्र में अपना दबदबा रखती है लेकिन एक बात तो आप भी जानते हैं कि दुनिया की कोई भी
भाषा मातृभाषा की जगह नहीं ले सकती है और यही हालत हिन्दी के साथ भी है। यदि आप भी
हिन्दी भाषी हैं तो आपको बता दें कि आपकी हिन्दी इंटरनेट पर काफी तेजी से आगे बढ़
रही है। इंटरनेट पर हिन्दी की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि
इंटरनेट पर हिन्दी पढ़ने वालों की संख्या हर साल 94 फीसदी बढ़ रही है।
गूगल-केपीएमजी रिसर्च, सेंसस
इंडिया और आईआरएस की सर्वे रिपोर्ट को मानें तो साल 2021 में हिन्दी में इंटरनेट
उपयोग करने वाले अंग्रेजी में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों से अधिक हो जाएंगे। एक
अनुमान के मुताबिक 20.1 करोड़ लोग हिन्दी का उपयोग करने लगेंगे। गूगल के अनुसार
हिन्दी में सामग्री पढ़ने वाले हर वर्ष 94% बढ़ रहे हैं, जबकि अंग्रेजी
में 17% है।
अमेजन इंडिया ने हाल ही में अपना एप
हिन्दी में लॉन्च किया है। ओएलएक्स, क्विकर जैसे प्लेटफॉर्म पहले ही हिन्दी
में उपलब्ध हैं। स्नैपडील भी हिन्दी में आ चुका है। 2021 तक 8.1 करोड़ लोग डिजिटल
पेमेंट के लिए हिन्दी का उपयोग करने लगेंगे। जबकि 2016 में यह संख्या 2.2 करोड़
थी।
सरकारी कामकाज के लिए 2016 तक 2.4 करोड़
लोग हिन्दी का इस्तेमाल करते थे जो 2021 में 9.4 करोड़ हो जाएंगे। 2016 में डिजिटल
माध्यम में हिन्दी समाचार पढ़ने वालों की संख्या 5.5 करोड़ थी। जो 2021 में बढ़कर
14.4 करोड़ होने का अनुमान है।
आज दुनिया भर में हिंदी के चैनल,
साइट्स , ब्लॉग और एप लोकप्रिय हो रहे है जो की इसके उज्ज्वल भविष्य को दर्शाता है
संकलन : विजय वर्मा
ज्ञानवर्धक जानकारी
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