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Chander shekhar Azad



✍मूछो पर ताव, कमर पर पिस्टल...
काँधे पर जनेऊ, शेर सी शखिसयत 🦁
वो याद थे, याद है, याद रहेगें
वो आज़ाद थे, आज़ाद है, आज़ाद रहेंगे....🚩🇮🇳🚩#चंद्रशेखर_तिवारी_से
चंद्रशेखर_आजाद_बनने_की_कहानी
 
महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के #भाबरा नामक स्थान पर हुआ था.

1921 में मात्र #तेरह_साल की उम्र में उन्‍हें संस्‍कृत कॉलेज के बाहर धरना देते हुए पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने उन्‍हें ज्‍वाइंट मजिस्‍ट्रेट के सामने पेश किया। जब मजिस्‍ट्रेट ने उनका नाम पूछा, उन्‍होंने जवाब दिया- #आजाद।

मजिस्‍ट्रेट ने पिता का नाम पूछा, उन्‍होंने जवाब दिया- #स्‍वाधीनता। मजिस्‍ट्रेट ने तीसरी बार घर का पता पूछा, उन्‍होंने जवाब दिया- #जेल।

उनके जवाब सुनने के बाद मजिस्‍ट्रेट ने उन्‍हें #पन्द्रह_कोड़े लगाने की सजा दी। हर बार जब उनकी पीठ पर कोड़ा लगाया जाता वे #महात्मा_गांधी_की_जय बोलते। थोड़ी ही देर में उनकी पूरी पीठ लहू-लूहान हो गई। उस दिन से उनके नाम के साथ ‘#आजाद’ जुड़ गया।

वे चंद्रशेखर तिवारी से चंद्रशेखर आजाद बन गए। असहयोग आंदोलन समाप्‍त होने के बाद उनकी विचारधारा में बदलाव आ गया और वे क्रांतिकारी गतिविधियों से जुड़ गए।
वे #हिंदुस्तान_सोशल_रिपब्लिकन_आर्मी में शामिल हो गए।चंद्रशेखर आजाद ने कई क्रांतिकारी गतिविधियां, जैसे- #काकोरी_कांड, #सांडर्स_हत्या को अंजाम दिया। आजाद और उनके साथियों की छोटी-सी टोली ने अंग्रेज सरकार की नाक में दम कर रखा था। पुलिस ने आजाद पर पांच हजार रुपए का इनाम घोषित किया था, पांच हजार रुपए उन दिनों एक बड़ी रकम मानी जाती थी। चंद्रशेखर आजाद वेश बदलने में माहिर थे। वे वेष बदल कर अपने काम को अंजाम देते रहे।

आखिरकार 27 फरवरी 1931 को #इलाहबाद के #अल्फ्रेड_पार्क में पुलिस ने उन्‍हें घेर लिया। आजाद पुलिस की कैद में नहीं आना चाहते थे। इसलिए वे अपनी कनपटी पर स्‍वयं गोली चलाकर हमेशा के लिए आजाद हो गए।आजाद इतने लोकप्रिय थे कि जिस पेड़ के नीचे वे शहीद हुए थे, वहां पर लोगों श्रद्धापूर्वक फूल चढ़ाना प्रारंभ कर दिया था। चंद्रशेखर आजाद के प्रति लोगों के मन में श्रद्धा देखकर सरकार ने वह पेड़ कटवा दिया, जिसके नीचे चंद्रशेखर आजाद ने मौत को गले लगाया था।

क्रांतिकारी आजाद ने भारतीय स्वाधीनता संग्राम में वीरता की नई परिभाषा लिखी थी। उनके बलिदान के बाद उनके द्वारा प्रारंभ किया गया आंदोलन और तेज हो गया, उनसे प्रेरणा लेकर हजारों युवक स्‍वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े।

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