हरियाली तीज || Hariyali Teej
'वाचंपर्जन्यानिन्वितां-प्रमण्डूकाअवादिषु।।'
अर्थात वर्ष पर्यन्त जो जीव मौन व्रत धारण किए होते हैं, इस ऋतु में बोलना प्रारंभ कर देते हैं। ...तो कहें, मौन व्रत के बाद जीवों के नाद से साक्षात् का माह है श्रावण। जो नास्तिक हैं उनके मन में भी यह श्रावण आस्था का वास कराता है।
हरियाली तीज क्या है ?
शिव और शक्ति के दोबारा मिलन की खुशी में हर वर्ष हरियाली तीज मनाई जाती है। सावन माह में बारिश बहुत होती है, जिसके कारण पृथ्वी पर चारों ओर हरियाली रहती है। इस वजह से भी इसे हरियाली तीज कहते हैं। हरियाली तीज के दिन उत्तर भारत के कई इलाकों में सुहागन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, समूह में झूला झूलती हैं, तीज के गीत गाती हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएं देती हैं। हरियाली तीज के दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य और उत्तम संतान की कामना से निर्जला व्रत रखती हैं।
सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज के साथ श्रावणी तीज, कजली तीज या मधुश्रवा तीज के नाम से भी जाना जाता है। वैसे को यह त्योहार लगातार तीन दिन मनाया जाता है लेकिन अब यह त्योहार केवल एक दिन का रह गया है। हरियाली तीज का पर्व बारिश की फुहार और प्रकृति के सौंदर्य का प्रतीक है। आइए जानते हैं प्रकृति के इस त्योहार को कैसे मनाया जाता है…
हरियाली तीज की पूजा की विधि-
अब शिव जी को भांग, धतूरा, अक्षत्, बेल पत्र, श्वेत फूल, गंध, धूप, वस्त्र आदि चढ़ाएं। इसके बाद अब गणेश जी की पूजा करते हुए हरियाली तीज की कथा सुनें। फिर भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त-
राहुकाल- बुधवार- दोपहर 12:00 से 1:30 बजे तक। (राहुकाल में पूजा नहीं करनी चाहिए)
रवि योग- 12 अगस्त सुबह 09:32 से 05:30 तक।
हरियाली तीज महत्व
मान्यता है कि इस दिन माता शिव और माता पार्वती की पूजा करने व व्रत रखने से अखंड सौभाग्य का वर मिलता है घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है. पति के निरोगी रहने का आशीर्वाद भी प्राप्त होने की मान्यता है.
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