श्राद्ध या पितृ-पक्ष हिंदू धर्म में वैदिक परंपरा के अनुसार अनेक रीति-रिवाज़ , व्रत-त्यौहार व परंपराएं मौजूद हैं। हिंदूओं में मानव के गर्भधारण से लेकर मृत्योपरांत तक अनेक प्रकार के संस्कार किये जाते हैं यधपि अंत्येष्टि को अंतिम संस्कार माना जाता है। लेकिन अंत्येष्टि के पश्चात भी कुछ ऐसे कर्म होते हैं जिन्हें मृतक के संबंधी विशेषकर संतान को करना होता है। श्राद्ध कर्म उन्हीं में से एक है। श्राद्ध क्या है ? श्रद्धया इदं श्राद्धम् ( जो श्र्द्धा से किया जाय , वह श्राद्ध है।) भावार्थ है प्रेत और पित्त्तर के निमित्त , उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक जो अर्पित किया जाए वह श्राद्ध है। हिन्दू धर्म में माता-पिता की सेवा को सबसे बड़ी पूजा माना गया है। जन्मदाता माता-पिता को मृत्यु-उपरांत लोग विस्मृत न कर दें , इसलिए उनका श्राद्ध करने का विशेष विधान बताया गया है। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृपक्ष कहते हैं जिसमे हम अपने पूर्वजों की सेवा करते हैं। आश्विन कृष्...
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